शनिवार, 3 दिसंबर 2011

विश्वास करने का मन तो नहीँ होता मगर यह एक दुखद सच्चाई है कि देव आनन्द साहब अब हमारे बीच नहीँ रहे । जी हाँ सब उन्हेँ देव आनन्द साहब ही कहते थे । 88 वर्ष की आयु मेँ लन्दन मेँ उन्होँने अन्तिम साँस ली । वे अपनी चिकित्सीय जाँच के लिए ही वहाँ गए हुए थे । दादा साहब फालके , फिल्म फेयर और पद्म भूषण जैसे कई सम्मान उनके नाम पर दर्ज हैँ । उन्होँने 100 से भी अधिक फिल्मोँ मेँ अपने यादगार अभिनय से भारतीय सिनेमा के दर्शकोँ के दिलोँ पर कई दशकोँ तक राज किया । काला पानी , सी.आई.डी. , गाइड , जानी मेरा नाम और हरे राम हरे कृष्ण जैसी फिल्मेँ उनके अभिनय , कहानी , सदा बहार गीतोँ और मनभावन संगीत के लिए आज भी जन मानस को प्रभावित करती हैँ । वे एक सफल कलाकार ही नहीँ वरन एक सफल निर्माता , निर्देशक और लेखक भी थे ।
फिल्मोँ से हटकर यदि उनके जीवन के दूसरे पक्ष पर नजर डाली जाए तो यह समीचीन ही होगा । मुझे याद है 1977 के आम चुनाव मेँ जब जनता पार्टी के सांसद बड़ी संख्या मेँ चुनकर आए थे तब दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गाँधी की समाधि पर आचार्य कृपलानी जी के द्वारा सभी नव निर्वाचित सांसदोँ को एक शपथ दिलाई गई थी । अपनी तरह के अनूठे और अभूतपूर्व इस आयोजन के पीछे देव आनन्द साहब की भी बड़ी अहम भूमिका थी । अटल बिहारी वाजपेयी जब देश के प्रधान मंत्री थे तब अमृतसर से लाहौर तक बस सेवा की शुरुवात हुई थी । पहली बस जो अमृतसर से लाहौर गई थी उसमेँ प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी स्वयं सवार होकर लाहौर गए थे । तब अटल जी अपने साथ देव आनन्द साहब को भी लाहौर लेकर गए थे । इसका एक कारण देव साहब की पाकिस्तान मेँ अत्यधिक लोकप्रियता भी थी इसके सिवा अटल जी की देव आनन्द के साथ गहरी मित्रता भी थी । जो भी हो अपनी बेहतरीन अदाकारी और फिल्मोँ मेँ नए प्रयोगोँ के लिए देव आनन्द देशवासियोँ के दिलोँ पर हमेशा - हमेशा राज करते रहेँगे । उन्हेँ मेरी विनम्र श्रद्धांजली ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी

बुधवार, 2 नवंबर 2011

डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी

कोई कुछ भी कहे पर भारतीय राजनीति मेँ डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी का जवाब नहीँ । हाल ही मेँ उन्होँने मनमोहन सिँह को हटाकर राहुल गाँधी को प्रधान मंत्री पद पर देखने की सोनिया गाँधी की नीयत के बारे मेँ जो बयान दिया है मुझे उसमेँ सच्चाई का आभास हो रहा है । कोई आश्चर्य नहीँ यदि निकट भविष्य मेँ हम स्वामी के बयान की सच्चाई से रूबरू हो जाएँ । दरअसल हालात कुछ ऐसे ही बनते नजर आ रहे हैँ या फिर यूँ कहेँ कि जानबूझकर बनाए जा रहे हैँ ताकि सारा ठीकरा मनमोहन सिँह के सिर फोड़कर उन्हेँ हटाने और राहुल की ताजपोशी करने का एक उचित कारण देश की जनता को बताया जा सके । महँगाई पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीँ रह गया है . घोटालोँ और भ्रष्टाचार से सरकार और काँग्रेस का मुँह काला हो चुका है और ऊपर से बाबा रामदेव और अण्णा हजारे के आन्दोलनोँ ने आग मेँ घी का काम किया है । ऐसे मेँ चाटुकारोँ से घिरा काँग्रेस नेतृत्व युवा चेहरे के नाम पर राहुल के लिए रास्ता साफ करने का षड़यंत्र रचे तो यह काँग्रेस के लिए संजीवनी सिद्ध होने की संभावना है । पर स्वामी के अनुसार यह देश का दुर्भाग्य ही होगा । अगले आम चुनाव मेँ काँग्रेस का सूपड़ा साफ होने की पूरी संभावना तथा सोनिया गाँधी की रहस्यमयी बीमारी को देखते हुए अभी ही राहुल को प्रधान मंत्री बनवाने की लालसा भी इस परिवर्तन की एक बड़ी वजह हो सकती है । और फिर लगे हाथ युवा चेहरे के सहारे अगले चुनाव मेँ काँग्रेस अपनी लाज बचाने की कोशिश भी तो करना चाहेगी । जो भी हो यदि ऐसा हुआ तो सचमुच यह इस देश का दुर्भाग्य और काँग्रेस का दीवालियापन ही साबित होने वाला है ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी
काँग्रेस के कुछ अधिकृत प्रवक्ता हैँ जो पार्टी की ओर से बयान दिया करते हैँ । इनमेँ से कुछ इतने बड़बोले हैँ कि पार्टी लाइन से हटकर भी कुछ ऐसा बोल जाते हैँ कि जिससे न केवल काँग्रेस को शर्मिन्दगी झेलनी पड़ती है अपितु बाद मेँ क्षमा याचना भी करनी पड़ती है । इसके अलावा काँग्रेस ने आए दिन भौँकने के लिए एक कुत्ता भी छोड़ रखा है जो आजकल हर उस आदमी को देखकर भौँकने लगता है जो देशहित की बातेँ करता है या जो काँग्रेस की आलोचना करता है । पर अब डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी नामक एकलव्य ने अचूक बाण चलाकर उस कुत्ते का मुँह बन्द कर दिया है । स्वामी के इस अमोघ बाण के आघात से कुत्ते की बोलती बन्द हो गई है ।
- रमेश दीक्षित टिमरनी

शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

हिन्दी साहित्य की व्यंग्य परम्परा का एक देदीप्यमान नक्षत्र आज अस्त हो गया । अप्रतिम व्यंग्यकार श्रीलाल शुक्ल अब हमारे बीच नहीँ रहे । अपने कालजयी उपन्यास ' राग दरबारी ' के लिए हिन्दी जगत सदैव उनका ऋणी रहेगा । अपने यशस्वी जीवन मेँ 86 वसन्त देख चुके श्रीलाल शुक्ल उत्तर प्रदेश की उच्च प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे । विभिन्न पदोँ पर रहते हुए उन्होँने शासन की कार्यप्रणाली और आम आदमी की तकलीफोँ को नजदीक से अनुभव किया था । इसके सिवा कस्बाई राजनीति और समाज के हर परिवेश पर उनकी गहरी पकड़ थी । ' राग दरबारी ' का एक - एक पात्र आज फिर से आँखोँ के सामने विचरण करने लगा । कई बार पढ़ने के बाद भी यह उपन्यास बार - बार पढ़ने की इच्छा होती है । मैँने अपने अनगिनत मित्रोँ को भी यह पढ़वाया है और वे सभी श्रीलाल शुक्ल के मुरीद हो गए । साहित्य अकादमी , पद्म विभूषण और हाल ही मेँ भारतीय ज्ञानपीठ पुरुस्कार से सम्मानित श्रीलाल शुक्ल सभी हिन्दी प्रेमियोँ को बहुत याद आएँगे । उन्हेँ टिमरनी के सभी कलम जीवियोँ की ओर से मैँ श्रद्धा सुमन समर्पित करता हूँ । - रमेश दीक्षित , टिमरनी

बुधवार, 28 सितंबर 2011

शारदीय नवरात्र

आज से हमारे देश मेँ शक्ति और भक्ति का महान्‌ पर्व शारदीय नवरात्र आरंभ हो चुका है । इस पवित्र अवसर पर सभी देशवासियोँ , सुधी पाठकोँ , मित्रोँ , परिचितोँ , शुभ - चिन्तकोँ , परिजन और पुरजन को हार्दिक बधाई और अनेकानेक शुभ - कामनाएँ । यह पर्व आप सभी को सुख और आरोग्य प्रदान करे यही जगज्जननी माँ से विनम्र प्रार्थना है ।
हे माँ ! इस देश के तमाम दुष्ट भ्रष्टाचारियोँ और निर्लज्ज नेताओँ का संहार कर देशवासियोँ को उनसे निजात दिलाओ ।
शुभेच्छु
रमेश दीक्षित , टिमरनी

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

चीन के साम्राज्यवादी मंसूबोँ के बारे मेँ देश का बच्चा - बच्चा अच्छी तरह से वाकिफ़ है परन्तु यह आश्चर्य की बात है कि भारत सरकार कुंभकर्णी निद्रा मेँ सोई हुई है । उसे देश की सीमाओँ की हिफ़ाजत की रत्ती भर भी चिन्ता नहीँ है । उसे तो येन केन प्रकारेण अपनी सत्ता को बचाए रखने की ही फ़िक्र है । चीन पिछले कुछ वर्षोँ मेँ न केवल कई बार हमारी सीमाओँ का बेजा उल्लंघन कर चुका है अपितु उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए अरुणाचल प्रदेश तथा लद्दाख क्षेत्र पर अपने अधिकार का दावा भी करता है । सीमाओँ पर उसकी सैन्य गतिविधियाँ उसके कुटिल इरादोँ को ज़ाहिर कर रही हैँ । हमारी सीमाओँ की सुरक्षा का आलम ये है कि वहाँ होने वाली हरकतोँ की जानकारी हमारी सरकार को या तो विदेशी एजेंसियोँ के माध्यम से मिलती है या फिर महीनोँ बाद पता चलती है । हर बार हमारी सरकार का वही घिसा पिटा बयान सामने आ जाता है कि चीन की गतिविधियोँ पर हमारी नज़र है । ज्यादा से ज्यादा मिमियाती हुई भाषा मेँ एक तथाकथित विरोध पत्र भेजकर यह मान लिया जाता है कि इससे चीन का हृदय परिवर्तन हो जाएगा और वह अब कोई भी ग़लत हरक़त नहीँ करेगा । दर असल हमारी ये लुंजपुंज केन्द्र सरकार न तो चीन के कुत्सित इरादोँ को समझ पाई है और न ही इतिहास से वह कुछ सबक लेना चाहती है । स्मरण रहे कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार मेँ रक्षा मंत्री रहे देश भक्त जार्ज फर्नाण्डीज़ ने तब संसद मेँ यह कहा था कि हमारा सबसे बड़ा दुश्मन चीन है । वास्तव मेँ कितने दूरदर्शी हैँ जार्ज और कितनी मूर्ख है हमारी ये सरकार । इसे देश हितोँ की बलि चढ़ाने मेँ कोई लज्जा नहीँ आती । इतने बड़े और सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न देश की सरकार आखिर चीन से इतनी भयभीत क्योँ रहती है ? क्योँ नहीँ वह अन्तर्राष्ट्रीय मंचोँ से यह सिँह गर्जना करती कि चीन हमारी हजारोँ वर्ग मील भूमि हमेँ लौटाए जो उसने 1962 मेँ भारत पर हमला करके हड़प ली थी ? क्योँ नहीँ यह सरकार तिब्बत की आजादी का समर्थन करती जिस पर चीन ने जबरन कब्जा कर तिब्बतियोँ को गुलाम बनाकर रखा है ? क्योँ नहीँ चीन से अपना कैलाश मान सरोवर छीना जाता ? इस रीढ़विहीन , सज़दे मेँ झुकी हुई और डरपोँक सरकार से ये उम्मीद बेमानी ही है । अरे ! जिस सरकार आज़ादी के बाद न केवल अपनी जमीन खोई हो बल्कि तश्तरी मेँ रखकर भेँट कर दी हो वह सरकार देश के स्वाभिमान की भला क्या परवाह करेगी ? चीन ने हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर कैलाश मानसरोवर सहित हजारोँ वर्ग मील भूमि पर कब्जा कर लिया और हम आज तक हाथ पर हाथ धरे लाचार बैठे हैँ । उसने तिब्बत हथिया लिया फिर भी हम खामोश रहे । पाकिस्तान ने तीन चौथाई कश्मीर हमसे छीन लिया , हम कुछ नहीँ कर सके । 1965 के युद्ध मेँ जीती हुई जमीन हम टिफिन टेबल पर हार गए और शहीदोँ का बलिदान व्यर्थ चला गया । काँग्रेस सरकार ने कच्छ का रन पाकिस्तान को , कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को और तीन बीघा गलियारा बंगला देश को तश्तरी मेँ रखकर भेँट कर दिया । हाल ही मेँ बंगला देश को देश का एक और हिस्सा दान कर दिया गया । ये भ्रष्ट और देशद्रोही सरकार आखिर किस सीमा तक घुटने टेकेगी और कब तक देश हितोँ का बलिदान करेगी ? भगवान्‌ इनको सद्बुद्धि दे ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी ।

रविवार, 18 सितंबर 2011

कल शनिवार की शाम मेरे लिए तब यादगार बन गई जब देश के ख्यातिनाम कवि और साहित्यकार डॉ. हीरालाल बाछोतिया अकस्मात ही मेरे घर पधारे । मैँ आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता से भर गया । टिमरनी उनका गृहनगर है लेकिन अब उनका यहाँ आना बहुत कम हो पाता है । वे गोवा से दिल्ली लौटते हुए अपनोँ से मिलने और अपने बचपन की यादोँ को ताज़ा करने के लिए टिमरनी उतर पड़े थे । खूब चर्चाएँ हुईँ । एक लम्बे समय के बाद उनका टिमरनी आना हुआ था । चर्चा के दौरान उन्होँने बताया कि वे गोवा मेँ हिन्दी दिवस के कार्यक्रम मेँ मुख्य वक्ता के रूप मेँ आमंत्रित थे । पुरानी बातेँ निकलीँ तो फिर शायद ही कुछ छूटा हो । राधाबाई की नदी , राधास्वामी हाईस्कूल , प्राचार्य माथुर साहब , हिन्दी के तब के शिक्षक पी.एन. मिश्र , कवि नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी , केदार शुक्ल , मदनलाल अग्रवाल , डॉ. हनुमन्तराव मुजुमदार , किशोरीलाल वर्मा , गंग कवि , कन्हैयालाल गर्ग , गयाप्रसाद मास्टर , जगन्नाथ दीवानजी और पन्नालाल उस्ताद वगैरह सभी की बातेँ यादोँ की बारात बनकर निकलती रहीँ । संयोग से कल रात ही स्थानीय बैँक ऑफ महाराष्ट्र के शाखा प्रबंधक श्री गोविन्द शर्मा के निवास पर कविवर प्रयास जोशी के काव्य संग्रह " रंगोँ के आसपास " पर चर्चा का एक कार्यक्रम भी था । बाछोतिया जी को मैँने इस कार्यक्रम मेँ चलने का आग्रह किया और वे सहज ही तैयार हो गए । इस आयोजन मेँ उनके आग्रह पर मैँने प्रयास जोशी के इस काव्य संग्रह मेँ से कुछ चुनिन्दा कविताओँ का वाचन भी किया । इस अवसर पर टिमरनी के वरिष्ठ कवि श्री हरगोविन्द शर्मा , श्री गोविन्द शर्मा , राजेन्द्र वाराह , मुकेश शाण्डिल्य ' चिराग ' और मैँने भी रचनाएँ सुनाईँ । और अन्त मेँ हम सबने जी भरकर बाछोतिया जी से उनकी कविताएँ सुनीँ । इस कार्यक्रम के सूत्रधार भाई मनीष सोनकिया ने यद्यपि अपनी रचनाएँ नहीँ सुनाईँ तथापि उनका योगदान सराहनीय था । हरदा मेँ भी कविवर माणिक वर्मा के निवास पर एक काव्य गोष्ठी कल ही रखी गई थी जिसमेँ टिमरनी के कुछ कवि मित्र भी गए थे जिससे वे लोग यहाँ के आनन्द से वंचित रह गए । कुल मिलाकर कल का दिन अविस्मरणीय आनन्द से ओतप्रोत रहा ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

जिस अमेरिका ने नरेन्द्र मोदी को वीज़ा देने से साफ इंकार कर दिया था वही अमेरिका आज उनकी कुशल नेतृत्व क्षमता का लोहा मानते हुए उनकी भूरि - भूरि प्रशंसा कर रहा है । नरेन्द्र मोदी को पानी पी - पी कर कोसने वाले वामपंथी , काँग्रेसी और तथाकथित बुद्धिजीवी गुजरात जाकर उनके काम को देखेँ और यदि हो सके तो कुछ प्रेरणा भी लेँ । मीडिया को भी अब वे प्रधान मंत्री पद के लिए योग्यतम उम्मीदवार के रूप मेँ दिखाई देने लगे हैँ ।
भोपाल के टी.वी. चैनल बंसल न्यूज़ ने आज अपने दर्शकोँ से एक सवाल पूछा था कि राहुल गाँधी और नरेन्द्र मोदी मेँ से आपकी दृष्टि मेँ कौन अच्छा प्रधान मंत्री हो सकता है ? इसके उत्तर मेँ शाम साढ़े पाँच बजे तक आशा के विपरीत आश्चर्यजनक रूप से 85 % से भी अधिक दर्शकोँ ने नरेन्द्र मोदी के पक्ष मेँ अपना मत व्यक्त किया जबकि काँग्रेस के युवराज मेँ 15 % से भी कम लोगोँ ने अपनी रुचि दिखाई । ज़ाहिर है कि नरेन्द्र मोदी के जन हितैषी कामोँ का जादू लोगोँ के सिर पर चढ़कर बोल रहा है । जनमन की यह अभिव्यक्ति काँग्रेस मेँ मौजूद आला दर्ज़े के चाटुकारोँ को रास नहीँ आने वाली है । ऐसे बयान बहादुर काँग्रेसी बंसल न्यूज़ के इस सर्वेक्षण को या तो फ़र्ज़ी करार देँगे या फिर इसे संघ और भा.ज.पा. द्वारा प्रायोजित बता देँगे । कुछ भी हो जाए पर हम नहीँ सुधरेँगे ।

मंगलवार, 6 सितंबर 2011

जब हमारी सरकार दुनिया भर मेँ समूचे कश्मीर प्रान्त को भारत का अटूट अंग बताती फिरती है तब चीन द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर मेँ रेल लाइन बिछाने के मुद्दे पर मिमियाती आवाज मेँ केवल विरोध व्यक्त करके अपने कर्तव्य को पूरा क्योँ कर रही है ? जनता ने यह देश इस सरकार के हाथोँ मेँ इस विश्वास के साथ सौँपा है कि वह इसकी अखण्डता की पूरी सुरक्षा करेगी । मिमियाने के बदले सरकार को सिँह गर्जना करते हुए तत्काल सैन्य हस्तक्षेप करके चीन द्वारा कराए जा रहे निर्माण को बलात रोकना चाहिए और चीन के इस कुकृत्य को भारत के अन्दरूनी मामले मेँ दखल करार देकर उसके साम्राज्यवादी मंसूबोँ पर पानी फेरना चाहिए । मगर भ्रष्टाचार के दलदल मेँ आकण्ठ डूबी केन्द्र सरकार से ऐसी किसी भी कार्यवाही की उम्मीद करना बेकार है । सरकार खुशफहमी है और यह मानकर चल रही है कि विरोध व्यक्त कर देने भर से चीन डरकर अपना काम रोक देगा । पर यदि भारत सरकार ने चीन की दगाबाजी के अपने पुराने अनुभवोँ से कोई सबक नहीँ लिया तो देशवासियोँ को किसी संभावित खतरे के लिए तैयार रहना चाहिए । हे भगवान्‌ ! हमारी सरकार को इस देश की सीमाओँ की रक्षा करने की सद्बुद्धि दे ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी

रविवार, 28 अगस्त 2011

अन्ना हजारे के शान्तिपूर्ण और अहिँसक जन आन्दोलन की अभूतपूर्व सफलता ने देश की जनता के मन मेँ आशा की एक नई किरण जगा दी है । इसके अलावा इस जन आन्दोलन से इस देश के बड़बोले और भ्रष्ट नेताओँ को अपनी औक़ात का भी अनुमान हो गया है । अन्ना जी ने यह सिद्ध कर दिया कि लोकतंत्र मेँ जनता मालिक होती है और सरकार नौकर ।
आशा है कि देश के भ्रष्ट तंत्र और सड़ - गल चुकी व्यवस्था को बदलने के लिए अन्ना जी का यह जन आन्दोलन एक मील का पत्थर सिद्ध होगा । - रमेश दीक्षित , टिमरनी

गुरुवार, 5 मई 2011

दिग्विजय सिँह का डी.एन.ए. टेस्ट करवाया जाए

काँग्रेस नेता दिग्विजय सिँह जिस निम्न स्तर पर उतरकर आतंकवादी सरगना ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कहकर महिमामण्डित करने की कोशिश कर रहे हैँ वह न केवल शर्मनाक और निन्दनीय है अपितु राष्ट्रद्रोह भी है । अपने देश और अपनी पार्टी के सम्मान की जरा भी परवाह न करते हुए वे आतंकवादी हमलोँ मेँ मारे गए हजारोँ बेगुनाह देशवासियोँ और देशभक्तोँ के जख्मोँ पर नमक छिड़कने का ही काम कर रहे हैँ । मुसलमानोँ को लुभाने के लिए नीचे गिरकर नित नई बयानबाजी करने के कारण दिग्विजय सिँह के बारे मेँ यह सन्देह पुख्ता होने लगा है कि वे हिन्दू की औलाद भी हैँ या नहीँ । इसके लिए उनका डी.एन.ए. टेस्ट कराया जाना चाहिए ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी

मंगलवार, 3 मई 2011

दिग्विजय सिँह और ओसामा बिन लादेन

काँग्रेस नेता दिग्विजय सिँह ने आतंकवादी सरगना ओसामा बिन लादेन की लाश को समुद्र मेँ दफनाने की अमेरिकी कार्रवाई पर कड़ा एतराज जताते हुए इसकी घोर निन्दा की है । इस मामले मेँ भारतीयोँ को दिग्विजय सिँह से ऐसी ही टुच्ची टिप्पणी की उम्मीद थी । दिग्विजय सिँह के इस बयान से अमेरिका मेँ जरूर खलबली मच गई होगी । इससे घबराकर अब अमेरिकी सरकार ओसामा की लाश को समुद्र से निकालकर ससम्मान दिग्विजय सिँह को सौँप देगी और दिग्विजय सिँह उसे दिल्ली मेँ राजघाट के आसपास एक बड़े आहाते मेँ पूरे राजकीय सम्मान के साथ दफन करवाकर एक भव्य मजार का निर्माण करवाएँगे और फिर वहाँ प्रतिवर्ष उर्स का आयोजन किया जाएगा जिसमेँ दुनिया भर के मशहूर कव्वाल मर्सिया कलाम पेश करेँगे और उसकी सदारत स्वयं दिग्विजय सिँह करेँगे । धन्य हैँ दिग्विजय सिँह और उनकी मानसिकता ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी

ओसामा बिन लादेन

अपने देश के दुश्मन के साथ कैसा सुलूक किया जाता है यह कोई अमेरिका से सीखे । ओसामा बिन लादेन को उसके अभेद्य किले मेँ घुसकर मार गिराने की कार्रवाई प्रशंसनीय है । इसके विपरीत हमारे देश के दुश्मन तो हमारे ही कब्जे मेँ हैँ और अदालत ने उन्हेँ मौत की सजा भी सुना दी है फिर भी हमारी सरकार उन्हेँ फाँसी पर लटकाने से परहेज कर रही है । इतना ही नहीँ तो मेहमानोँ की तरह उनकी खातिरदारी की जा रही है और उनकी सुरक्षा पर जनता की गाढ़ी कमाई का करोड़ोँ रुपया पानी की तरह बहाया जा रहा है । दलीय हितोँ को राष्ट्र हित से ऊपर रखने वाली काँग्रेस नीत केन्द्रीय सरकार का यह नीचतापूर्ण कृत्य राष्ट्रद्रोह ही है । अपने दुश्मन नं. 1 को 40 मिनिट के सफल अभियान मेँ जिन्दा पकड़ लेने के बावजूद मौत के घाट उतार दिया । इस देश के निर्लज्ज नेतृत्व से ऐसी दृढ़ इच्छाशक्ति की आशा करना अपने आप को धोखा देने जैसा है । भगवान से प्रार्थना करेँ कि वह हमारे नेताओँ को सद्बुद्धि दे ।

रविवार, 3 अप्रैल 2011

नव संवत्सर मंगलमय हो

आज भारतीय नव संवत्सर का प्रथम दिवस है । इसे गुड़ी पड़वाँ के नाम से भी जाना जाता है । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही हमारा नया वर्ष आरंभ होता है । आज से विक्रम संवत 2068 शुरू हो गया है । दुर्भाग्य से इन बातोँ की जानकारी हमारे देश की नई पीढ़ी को नहीँ है । वास्तव मेँ इसमेँ नई पीढ़ी का दोष नहीँ है । हमारी पारिवारिक परम्पराओँ से अब संस्कृति और संस्कार धीरे - धीरे लुप्त होते जा रहे हैँ । पश्चिम की अंधी नकल के कारण हमारी भारतीयता की पहचान संकट मेँ है । इसे बचाना और सुरक्षित रखना ही जरूरी नहीँ है अपितु इसका संरक्षण , पोषण और पल्लवन भी परम आवश्यक है वरना हमारा अस्तित्व इतिहास का विषय बन जाएगा । आज की पीढ़ी को पश्चिम से आयातित न्यू इयर्स डे , फ्रेँड्स डे , मदर्स डे , फादर्स डे और वेलेण्टाइन्स डे तो मालूम हैँ पर वर्ष प्रतिपदा के बारे मेँ कोई जानकारी नहीँ है । पूर्व मेँ परिवार की व्यवस्थाएँ ही कुछ इस तरह की होती थीँ भारतीय संस्कार और परम्पराओँ की जानकारियाँ स्वाभाविक रूप से अगली पीढ़ी को हस्तान्तरित हो जाया करती थीँ लेकिन परिवारोँ के विखण्डन से इस सिलसिले को आघात पहुँचा है । खेद का विषय है कि वर्तमान मेँ हमारा राष्ट्रीय समाज अपने गौरवशाली अतीत को भूलकर सिँह के उस छौने की तरह आत्मविस्मृत हो गया है जो अपने झुण्ड से बिछड़ने के कारण भेड़ोँ के बीच पला और दहाड़ना भूलकर मिमियाना सीख गया और शिकार करना छोड़कर वनस्पति खाने लगा था । आज आवश्यकता है कि हम अपने खोए हुए आत्मगौरव को पहचानकर उसकी पुनर्स्थापना करेँ ।
सभी सुधी पाठकोँ , शुभ - चिन्तकोँ और मित्रोँ को नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभ - कामनाएँ । नया साल हम सभी के जीवन मेँ सुख , समृद्धि और प्रसन्नता लाए , यही परमपिता परमेश्वर के श्री चरणोँ भेँ प्रार्थना है ।
इति शुभम ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी

बुधवार, 2 मार्च 2011

हे शिव ! समाधि से जागो

हे शिव ! आपके निवास हिमालय के दक्षिण मेँ समुद्र पर्यन्त फैला हुआ विशाल भू भाग , जिसे कुछ हठीले , ग्रामीण मानसिकता वाले और पिछड़े हुए लोग आज भी भारतवर्ष की प्राचीन संज्ञा से ही पुकारना पसंद करते हैँ और जिसे सभ्य , पढ़े - लिखे , विकसित और आधुनिक कहे जाने वाले लोग इण्डिया कहते हैँ , की दशा अत्यन्त चिन्ताजनक हो गई है । एक ओर घोटालेबाजोँ और भ्रष्टाचारियोँ के गठबन्धन वाली सरकार को चलाने के लिए मजबूर प्रधानमंत्री राष्ट्रहितोँ की अनदेखी कर कुर्सी का मोह त्यागने मेँ असमर्थ है तो दूसरी ओर एक लंगोटीधारी सत्ताधीशोँ को चौतरफा चुनौती देकर राजनैतिक परिवर्तन के लिए मिस्र जैसी क्रान्ति का एलान कर रहा है । आम जनता भ्रष्टाचार और कमरतोड़ महँगाई के बीच बुरी तरह पिसी जा रही है और सत्ता मेँ बैठे लोग हर वो उपाय करते जा रहे हैँ जो महँगाई को और अधिक बढ़ाने मेँ सहायक हैँ । विश्वकप क्रिकेट के झुनझुने से देशवासियोँ का मन बहलाने का उपक्रम जारी है ताकि जनता का ध्यान असल समस्याओँ से भटकता रहे । लेकिन इतिहास गवाह है कि राजनैतिक परिवर्तनोँ की आँधी कभी राष्ट्रोँ की सीमाओँ मेँ बँधकर नहीँ रहती । इसी बदलाव के चलते लगभग सारी दुनिया पर राज्य करने वाली अँग्रेजोँ की गोरी हुकूमत बीसवीँ सदी के मध्य तक अपने देश मेँ ही सिमट कर रह गई । यूरोप के पोलेण्ड मेँ मजदूर नेता लेक वालेँसा के नेतृत्व मेँ चली साम्यवाद विरोधी लहर ने दुनिया से इस अव्यावहारिक विचारधारा को कालबाह्य कर दिया था । अब परिवर्तन की ऐसी ही एक बयार प्राचीन सभ्यता वाले देश मिस्र से प्रारम्भ होकर अन्य देशोँ को प्रभावित करने लगी है जिसके आरम्भिक संकेत बाबा रामदेव ने भारत मेँ भी देना शुरू कर दिया है । यह लँगोटीधारी नंगा आगे क्या करेगा और किस सीमा तक जाएगा यह तो भविष्य के गर्भ मेँ छुपा है लेकिन इस बाबा को जैसा अपार जन समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है उसने सत्ताधारियोँ के कान जरूर खड़े कर दिए हैँ और यह उनके लिए एक आसन्न खतरा दिखाई दे रहा है । इस खतरे से निबटने के लिए सत्ता पक्ष की ओर से दिग्विजयसिँह नामक मिसाइल तैनात की गई है जो बाबा पर नित नए हमले कर रही है । पर यह नंगा आदमी बहुत खतरनाक लग रहा है । वैसे भी नंगे से तो खुदा भी डरता है । भारत के इतिहास मेँ ऐसे अनेक नंगे लोग हुए हैँ जिन्होँने सत्ताधारियोँ को धूल चटाई है । चाणक्य नाम के अधनंगे काले ब्राह्मण ने चन्द्रगुप्त के माध्यम से अत्याचारी नन्द वंश का सर्वनाश कर दिया था । समर्थ स्वामी रामदास जी महाराज नाम के एक दूसरे नंगे ने छत्रपति शिवाजी के माध्यम से मुगलोँ को परास्त कर हिन्दू साम्राज्य की स्थापना मेँ अपनी केन्द्रीय भूमिका अदा की थी । महात्मा गाँधी नाम के तीसरे नंगे ने अँग्रेजी साम्राज्य की चूलेँ हिलाकर भारत की स्वतंत्रता मेँ अपना अभूतपूर्व योगदान किया था । अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बाबा रामदेव नामक यह चौथा नंगा क्या गुल खिलाता है ? लेकिन हे सदाशिव ! हे भोलेनाथ !! हे आशुतोष शंकर !!! अपनी चिर समाधि को तनिक त्यागकर इस देश की दशा को निहारो जिसे हम सब भारतवासी आपकी प्रिय कर्मभूमि के रूप मेँ पूजते हैँ और हो सके तो अपना तीसरा नेत्र भी अगर खोलो नहीँ तो कम से कम झपका ही दो । आपकी जय हो ! जय हो !! जय हो !!! महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आपके श्री चरणोँ मेँ मेरा इतना ही विनम्र निवेदन है ।
मेरे ब्लॉग के समस्त सुधी अनुसरणकर्ताओँ , शुभ चिन्तकोँ और मित्रोँ को इस महा पर्व की हार्दिक बधाई एवं अनेकानेक शुभ - कामनाएँ । अस्तु ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी

शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

कड़वा सच

सच न केवल कड़वा होता है अपितु दण्डनीय भी होता है । राजस्थान के एक मंत्री को ऐसे ही कड़वे सच का दण्ड हाल ही मेँ भुगतना पड़ा है । यदि गहराई से चिन्तन किया जाए तो हमारी दोषपूर्ण राजनैतिक प्रणाली के कारण ही चाटुकारिता और व्यक्तिनिष्ठा की लज्जाजनक परम्परा का प्रचलन बढ़ा है । इसी के बल पर अनेक लोगोँ ने सत्ता सुन्दरी का सुख भोगा है । आपातकाल के समय देवकान्त बरुआ , हरिदेव जोशी , ज्ञानी जैलसिँह और नारायणदत्त तिवारी जैसे नेताओँ ने चापलूसी की सारी हदेँ पार कर दी थीँ । यही परम्परा न्यूनाधिक स्वरूप मेँ लगभग सभी राजनैतिक दलोँ मेँ अपना स्थान बना चुकी है परिणाम स्वरूप अयोग्य , रीढ़विहीन और स्वाभिमानशून्य नेताओँ की भरमार हो गई है तथा श्रेष्ठ , राष्ट्रभक्त , योग्य और ईमानदार लोग नेपथ्य मेँ चले गए हैँ । यही कारण है कि आए दिन लाखोँ करोड़ रुपयोँ के घोटाले सामने आ रहे हैँ , भ्रष्टाचार दिन - दूना और रात चौगुना बढ़ रहा है , अपराधोँ की बाढ़ आई हुई है और देश की सीमाएँ असुरक्षित हो गई हैँ , सर्वोच्च न्यायालय सरकार को प्रतिदिन किसी न किसी बात पर लताड़ लगा रहा है और सत्ता मेँ बैठे लोग निर्लज्जता का भौँडा प्रदर्शन कर रहे हैँ । जनता मेँ महँगाई से हाहाकार मच रहा है लेकिन किसी को चिन्ता नहीँ है । संविधान के जिस ढाँचे के अन्तर्गत यह सब हो रहा है उस संविधान की जो विशेषताएँ देश के विद्यालयोँ मेँ भावी पीढ़ी को पढ़ाई जाती हैँ उनमेँ इसका लचीलापन भी है । मुझे लगता है कि संविधान का यही लचीलापन उसका सबसे बड़ा दोष बन चुका है । उसमेँ मनमाने ढँग से दलीय हितोँ के लिए लगभग सौ संशोधन किए जा चुके हैँ । वास्तव मेँ अब समय आ गया है कि अँग्रेजोँ के संविधान की नकल के स्थान पर एक शुद्ध भारतीय संविधान की रचना की जाए जो इस सड़ गल चुकी व्यवस्था मेँ आमूलचूल परिवर्तन ला सके । यद्यपि इसकी आशा शून्य से भी कम है । लेकिन यह भी तय है कि यदि ऐसा नहीँ हुआ तो जनता मेँ विद्रोह फूटने की पूरी संभावना है तब जनता हमारे नेताओँ को दौड़ा - दौड़ा कर मारेगी ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी ।