बुधवार, 28 सितंबर 2011

शारदीय नवरात्र

आज से हमारे देश मेँ शक्ति और भक्ति का महान्‌ पर्व शारदीय नवरात्र आरंभ हो चुका है । इस पवित्र अवसर पर सभी देशवासियोँ , सुधी पाठकोँ , मित्रोँ , परिचितोँ , शुभ - चिन्तकोँ , परिजन और पुरजन को हार्दिक बधाई और अनेकानेक शुभ - कामनाएँ । यह पर्व आप सभी को सुख और आरोग्य प्रदान करे यही जगज्जननी माँ से विनम्र प्रार्थना है ।
हे माँ ! इस देश के तमाम दुष्ट भ्रष्टाचारियोँ और निर्लज्ज नेताओँ का संहार कर देशवासियोँ को उनसे निजात दिलाओ ।
शुभेच्छु
रमेश दीक्षित , टिमरनी

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

चीन के साम्राज्यवादी मंसूबोँ के बारे मेँ देश का बच्चा - बच्चा अच्छी तरह से वाकिफ़ है परन्तु यह आश्चर्य की बात है कि भारत सरकार कुंभकर्णी निद्रा मेँ सोई हुई है । उसे देश की सीमाओँ की हिफ़ाजत की रत्ती भर भी चिन्ता नहीँ है । उसे तो येन केन प्रकारेण अपनी सत्ता को बचाए रखने की ही फ़िक्र है । चीन पिछले कुछ वर्षोँ मेँ न केवल कई बार हमारी सीमाओँ का बेजा उल्लंघन कर चुका है अपितु उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए अरुणाचल प्रदेश तथा लद्दाख क्षेत्र पर अपने अधिकार का दावा भी करता है । सीमाओँ पर उसकी सैन्य गतिविधियाँ उसके कुटिल इरादोँ को ज़ाहिर कर रही हैँ । हमारी सीमाओँ की सुरक्षा का आलम ये है कि वहाँ होने वाली हरकतोँ की जानकारी हमारी सरकार को या तो विदेशी एजेंसियोँ के माध्यम से मिलती है या फिर महीनोँ बाद पता चलती है । हर बार हमारी सरकार का वही घिसा पिटा बयान सामने आ जाता है कि चीन की गतिविधियोँ पर हमारी नज़र है । ज्यादा से ज्यादा मिमियाती हुई भाषा मेँ एक तथाकथित विरोध पत्र भेजकर यह मान लिया जाता है कि इससे चीन का हृदय परिवर्तन हो जाएगा और वह अब कोई भी ग़लत हरक़त नहीँ करेगा । दर असल हमारी ये लुंजपुंज केन्द्र सरकार न तो चीन के कुत्सित इरादोँ को समझ पाई है और न ही इतिहास से वह कुछ सबक लेना चाहती है । स्मरण रहे कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार मेँ रक्षा मंत्री रहे देश भक्त जार्ज फर्नाण्डीज़ ने तब संसद मेँ यह कहा था कि हमारा सबसे बड़ा दुश्मन चीन है । वास्तव मेँ कितने दूरदर्शी हैँ जार्ज और कितनी मूर्ख है हमारी ये सरकार । इसे देश हितोँ की बलि चढ़ाने मेँ कोई लज्जा नहीँ आती । इतने बड़े और सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न देश की सरकार आखिर चीन से इतनी भयभीत क्योँ रहती है ? क्योँ नहीँ वह अन्तर्राष्ट्रीय मंचोँ से यह सिँह गर्जना करती कि चीन हमारी हजारोँ वर्ग मील भूमि हमेँ लौटाए जो उसने 1962 मेँ भारत पर हमला करके हड़प ली थी ? क्योँ नहीँ यह सरकार तिब्बत की आजादी का समर्थन करती जिस पर चीन ने जबरन कब्जा कर तिब्बतियोँ को गुलाम बनाकर रखा है ? क्योँ नहीँ चीन से अपना कैलाश मान सरोवर छीना जाता ? इस रीढ़विहीन , सज़दे मेँ झुकी हुई और डरपोँक सरकार से ये उम्मीद बेमानी ही है । अरे ! जिस सरकार आज़ादी के बाद न केवल अपनी जमीन खोई हो बल्कि तश्तरी मेँ रखकर भेँट कर दी हो वह सरकार देश के स्वाभिमान की भला क्या परवाह करेगी ? चीन ने हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर कैलाश मानसरोवर सहित हजारोँ वर्ग मील भूमि पर कब्जा कर लिया और हम आज तक हाथ पर हाथ धरे लाचार बैठे हैँ । उसने तिब्बत हथिया लिया फिर भी हम खामोश रहे । पाकिस्तान ने तीन चौथाई कश्मीर हमसे छीन लिया , हम कुछ नहीँ कर सके । 1965 के युद्ध मेँ जीती हुई जमीन हम टिफिन टेबल पर हार गए और शहीदोँ का बलिदान व्यर्थ चला गया । काँग्रेस सरकार ने कच्छ का रन पाकिस्तान को , कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को और तीन बीघा गलियारा बंगला देश को तश्तरी मेँ रखकर भेँट कर दिया । हाल ही मेँ बंगला देश को देश का एक और हिस्सा दान कर दिया गया । ये भ्रष्ट और देशद्रोही सरकार आखिर किस सीमा तक घुटने टेकेगी और कब तक देश हितोँ का बलिदान करेगी ? भगवान्‌ इनको सद्बुद्धि दे ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी ।

रविवार, 18 सितंबर 2011

कल शनिवार की शाम मेरे लिए तब यादगार बन गई जब देश के ख्यातिनाम कवि और साहित्यकार डॉ. हीरालाल बाछोतिया अकस्मात ही मेरे घर पधारे । मैँ आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता से भर गया । टिमरनी उनका गृहनगर है लेकिन अब उनका यहाँ आना बहुत कम हो पाता है । वे गोवा से दिल्ली लौटते हुए अपनोँ से मिलने और अपने बचपन की यादोँ को ताज़ा करने के लिए टिमरनी उतर पड़े थे । खूब चर्चाएँ हुईँ । एक लम्बे समय के बाद उनका टिमरनी आना हुआ था । चर्चा के दौरान उन्होँने बताया कि वे गोवा मेँ हिन्दी दिवस के कार्यक्रम मेँ मुख्य वक्ता के रूप मेँ आमंत्रित थे । पुरानी बातेँ निकलीँ तो फिर शायद ही कुछ छूटा हो । राधाबाई की नदी , राधास्वामी हाईस्कूल , प्राचार्य माथुर साहब , हिन्दी के तब के शिक्षक पी.एन. मिश्र , कवि नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी , केदार शुक्ल , मदनलाल अग्रवाल , डॉ. हनुमन्तराव मुजुमदार , किशोरीलाल वर्मा , गंग कवि , कन्हैयालाल गर्ग , गयाप्रसाद मास्टर , जगन्नाथ दीवानजी और पन्नालाल उस्ताद वगैरह सभी की बातेँ यादोँ की बारात बनकर निकलती रहीँ । संयोग से कल रात ही स्थानीय बैँक ऑफ महाराष्ट्र के शाखा प्रबंधक श्री गोविन्द शर्मा के निवास पर कविवर प्रयास जोशी के काव्य संग्रह " रंगोँ के आसपास " पर चर्चा का एक कार्यक्रम भी था । बाछोतिया जी को मैँने इस कार्यक्रम मेँ चलने का आग्रह किया और वे सहज ही तैयार हो गए । इस आयोजन मेँ उनके आग्रह पर मैँने प्रयास जोशी के इस काव्य संग्रह मेँ से कुछ चुनिन्दा कविताओँ का वाचन भी किया । इस अवसर पर टिमरनी के वरिष्ठ कवि श्री हरगोविन्द शर्मा , श्री गोविन्द शर्मा , राजेन्द्र वाराह , मुकेश शाण्डिल्य ' चिराग ' और मैँने भी रचनाएँ सुनाईँ । और अन्त मेँ हम सबने जी भरकर बाछोतिया जी से उनकी कविताएँ सुनीँ । इस कार्यक्रम के सूत्रधार भाई मनीष सोनकिया ने यद्यपि अपनी रचनाएँ नहीँ सुनाईँ तथापि उनका योगदान सराहनीय था । हरदा मेँ भी कविवर माणिक वर्मा के निवास पर एक काव्य गोष्ठी कल ही रखी गई थी जिसमेँ टिमरनी के कुछ कवि मित्र भी गए थे जिससे वे लोग यहाँ के आनन्द से वंचित रह गए । कुल मिलाकर कल का दिन अविस्मरणीय आनन्द से ओतप्रोत रहा ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

जिस अमेरिका ने नरेन्द्र मोदी को वीज़ा देने से साफ इंकार कर दिया था वही अमेरिका आज उनकी कुशल नेतृत्व क्षमता का लोहा मानते हुए उनकी भूरि - भूरि प्रशंसा कर रहा है । नरेन्द्र मोदी को पानी पी - पी कर कोसने वाले वामपंथी , काँग्रेसी और तथाकथित बुद्धिजीवी गुजरात जाकर उनके काम को देखेँ और यदि हो सके तो कुछ प्रेरणा भी लेँ । मीडिया को भी अब वे प्रधान मंत्री पद के लिए योग्यतम उम्मीदवार के रूप मेँ दिखाई देने लगे हैँ ।
भोपाल के टी.वी. चैनल बंसल न्यूज़ ने आज अपने दर्शकोँ से एक सवाल पूछा था कि राहुल गाँधी और नरेन्द्र मोदी मेँ से आपकी दृष्टि मेँ कौन अच्छा प्रधान मंत्री हो सकता है ? इसके उत्तर मेँ शाम साढ़े पाँच बजे तक आशा के विपरीत आश्चर्यजनक रूप से 85 % से भी अधिक दर्शकोँ ने नरेन्द्र मोदी के पक्ष मेँ अपना मत व्यक्त किया जबकि काँग्रेस के युवराज मेँ 15 % से भी कम लोगोँ ने अपनी रुचि दिखाई । ज़ाहिर है कि नरेन्द्र मोदी के जन हितैषी कामोँ का जादू लोगोँ के सिर पर चढ़कर बोल रहा है । जनमन की यह अभिव्यक्ति काँग्रेस मेँ मौजूद आला दर्ज़े के चाटुकारोँ को रास नहीँ आने वाली है । ऐसे बयान बहादुर काँग्रेसी बंसल न्यूज़ के इस सर्वेक्षण को या तो फ़र्ज़ी करार देँगे या फिर इसे संघ और भा.ज.पा. द्वारा प्रायोजित बता देँगे । कुछ भी हो जाए पर हम नहीँ सुधरेँगे ।

मंगलवार, 6 सितंबर 2011

जब हमारी सरकार दुनिया भर मेँ समूचे कश्मीर प्रान्त को भारत का अटूट अंग बताती फिरती है तब चीन द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर मेँ रेल लाइन बिछाने के मुद्दे पर मिमियाती आवाज मेँ केवल विरोध व्यक्त करके अपने कर्तव्य को पूरा क्योँ कर रही है ? जनता ने यह देश इस सरकार के हाथोँ मेँ इस विश्वास के साथ सौँपा है कि वह इसकी अखण्डता की पूरी सुरक्षा करेगी । मिमियाने के बदले सरकार को सिँह गर्जना करते हुए तत्काल सैन्य हस्तक्षेप करके चीन द्वारा कराए जा रहे निर्माण को बलात रोकना चाहिए और चीन के इस कुकृत्य को भारत के अन्दरूनी मामले मेँ दखल करार देकर उसके साम्राज्यवादी मंसूबोँ पर पानी फेरना चाहिए । मगर भ्रष्टाचार के दलदल मेँ आकण्ठ डूबी केन्द्र सरकार से ऐसी किसी भी कार्यवाही की उम्मीद करना बेकार है । सरकार खुशफहमी है और यह मानकर चल रही है कि विरोध व्यक्त कर देने भर से चीन डरकर अपना काम रोक देगा । पर यदि भारत सरकार ने चीन की दगाबाजी के अपने पुराने अनुभवोँ से कोई सबक नहीँ लिया तो देशवासियोँ को किसी संभावित खतरे के लिए तैयार रहना चाहिए । हे भगवान्‌ ! हमारी सरकार को इस देश की सीमाओँ की रक्षा करने की सद्बुद्धि दे ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी