जब हमारी सरकार दुनिया भर मेँ समूचे कश्मीर प्रान्त को भारत का अटूट अंग बताती फिरती है तब चीन द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर मेँ रेल लाइन बिछाने के मुद्दे पर मिमियाती आवाज मेँ केवल विरोध व्यक्त करके अपने कर्तव्य को पूरा क्योँ कर रही है ? जनता ने यह देश इस सरकार के हाथोँ मेँ इस विश्वास के साथ सौँपा है कि वह इसकी अखण्डता की पूरी सुरक्षा करेगी । मिमियाने के बदले सरकार को सिँह गर्जना करते हुए तत्काल सैन्य हस्तक्षेप करके चीन द्वारा कराए जा रहे निर्माण को बलात रोकना चाहिए और चीन के इस कुकृत्य को भारत के अन्दरूनी मामले मेँ दखल करार देकर उसके साम्राज्यवादी मंसूबोँ पर पानी फेरना चाहिए । मगर भ्रष्टाचार के दलदल मेँ आकण्ठ डूबी केन्द्र सरकार से ऐसी किसी भी कार्यवाही की उम्मीद करना बेकार है । सरकार खुशफहमी है और यह मानकर चल रही है कि विरोध व्यक्त कर देने भर से चीन डरकर अपना काम रोक देगा । पर यदि भारत सरकार ने चीन की दगाबाजी के अपने पुराने अनुभवोँ से कोई सबक नहीँ लिया तो देशवासियोँ को किसी संभावित खतरे के लिए तैयार रहना चाहिए । हे भगवान् ! हमारी सरकार को इस देश की सीमाओँ की रक्षा करने की सद्बुद्धि दे ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी
मंगलवार, 6 सितंबर 2011
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1 टिप्पणी:
आप कि बात से सहमत हूँ| धन्यवाद|
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