शनिवार, 3 दिसंबर 2011

विश्वास करने का मन तो नहीँ होता मगर यह एक दुखद सच्चाई है कि देव आनन्द साहब अब हमारे बीच नहीँ रहे । जी हाँ सब उन्हेँ देव आनन्द साहब ही कहते थे । 88 वर्ष की आयु मेँ लन्दन मेँ उन्होँने अन्तिम साँस ली । वे अपनी चिकित्सीय जाँच के लिए ही वहाँ गए हुए थे । दादा साहब फालके , फिल्म फेयर और पद्म भूषण जैसे कई सम्मान उनके नाम पर दर्ज हैँ । उन्होँने 100 से भी अधिक फिल्मोँ मेँ अपने यादगार अभिनय से भारतीय सिनेमा के दर्शकोँ के दिलोँ पर कई दशकोँ तक राज किया । काला पानी , सी.आई.डी. , गाइड , जानी मेरा नाम और हरे राम हरे कृष्ण जैसी फिल्मेँ उनके अभिनय , कहानी , सदा बहार गीतोँ और मनभावन संगीत के लिए आज भी जन मानस को प्रभावित करती हैँ । वे एक सफल कलाकार ही नहीँ वरन एक सफल निर्माता , निर्देशक और लेखक भी थे ।
फिल्मोँ से हटकर यदि उनके जीवन के दूसरे पक्ष पर नजर डाली जाए तो यह समीचीन ही होगा । मुझे याद है 1977 के आम चुनाव मेँ जब जनता पार्टी के सांसद बड़ी संख्या मेँ चुनकर आए थे तब दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गाँधी की समाधि पर आचार्य कृपलानी जी के द्वारा सभी नव निर्वाचित सांसदोँ को एक शपथ दिलाई गई थी । अपनी तरह के अनूठे और अभूतपूर्व इस आयोजन के पीछे देव आनन्द साहब की भी बड़ी अहम भूमिका थी । अटल बिहारी वाजपेयी जब देश के प्रधान मंत्री थे तब अमृतसर से लाहौर तक बस सेवा की शुरुवात हुई थी । पहली बस जो अमृतसर से लाहौर गई थी उसमेँ प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी स्वयं सवार होकर लाहौर गए थे । तब अटल जी अपने साथ देव आनन्द साहब को भी लाहौर लेकर गए थे । इसका एक कारण देव साहब की पाकिस्तान मेँ अत्यधिक लोकप्रियता भी थी इसके सिवा अटल जी की देव आनन्द के साथ गहरी मित्रता भी थी । जो भी हो अपनी बेहतरीन अदाकारी और फिल्मोँ मेँ नए प्रयोगोँ के लिए देव आनन्द देशवासियोँ के दिलोँ पर हमेशा - हमेशा राज करते रहेँगे । उन्हेँ मेरी विनम्र श्रद्धांजली ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी

बुधवार, 2 नवंबर 2011

डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी

कोई कुछ भी कहे पर भारतीय राजनीति मेँ डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी का जवाब नहीँ । हाल ही मेँ उन्होँने मनमोहन सिँह को हटाकर राहुल गाँधी को प्रधान मंत्री पद पर देखने की सोनिया गाँधी की नीयत के बारे मेँ जो बयान दिया है मुझे उसमेँ सच्चाई का आभास हो रहा है । कोई आश्चर्य नहीँ यदि निकट भविष्य मेँ हम स्वामी के बयान की सच्चाई से रूबरू हो जाएँ । दरअसल हालात कुछ ऐसे ही बनते नजर आ रहे हैँ या फिर यूँ कहेँ कि जानबूझकर बनाए जा रहे हैँ ताकि सारा ठीकरा मनमोहन सिँह के सिर फोड़कर उन्हेँ हटाने और राहुल की ताजपोशी करने का एक उचित कारण देश की जनता को बताया जा सके । महँगाई पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीँ रह गया है . घोटालोँ और भ्रष्टाचार से सरकार और काँग्रेस का मुँह काला हो चुका है और ऊपर से बाबा रामदेव और अण्णा हजारे के आन्दोलनोँ ने आग मेँ घी का काम किया है । ऐसे मेँ चाटुकारोँ से घिरा काँग्रेस नेतृत्व युवा चेहरे के नाम पर राहुल के लिए रास्ता साफ करने का षड़यंत्र रचे तो यह काँग्रेस के लिए संजीवनी सिद्ध होने की संभावना है । पर स्वामी के अनुसार यह देश का दुर्भाग्य ही होगा । अगले आम चुनाव मेँ काँग्रेस का सूपड़ा साफ होने की पूरी संभावना तथा सोनिया गाँधी की रहस्यमयी बीमारी को देखते हुए अभी ही राहुल को प्रधान मंत्री बनवाने की लालसा भी इस परिवर्तन की एक बड़ी वजह हो सकती है । और फिर लगे हाथ युवा चेहरे के सहारे अगले चुनाव मेँ काँग्रेस अपनी लाज बचाने की कोशिश भी तो करना चाहेगी । जो भी हो यदि ऐसा हुआ तो सचमुच यह इस देश का दुर्भाग्य और काँग्रेस का दीवालियापन ही साबित होने वाला है ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी
काँग्रेस के कुछ अधिकृत प्रवक्ता हैँ जो पार्टी की ओर से बयान दिया करते हैँ । इनमेँ से कुछ इतने बड़बोले हैँ कि पार्टी लाइन से हटकर भी कुछ ऐसा बोल जाते हैँ कि जिससे न केवल काँग्रेस को शर्मिन्दगी झेलनी पड़ती है अपितु बाद मेँ क्षमा याचना भी करनी पड़ती है । इसके अलावा काँग्रेस ने आए दिन भौँकने के लिए एक कुत्ता भी छोड़ रखा है जो आजकल हर उस आदमी को देखकर भौँकने लगता है जो देशहित की बातेँ करता है या जो काँग्रेस की आलोचना करता है । पर अब डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी नामक एकलव्य ने अचूक बाण चलाकर उस कुत्ते का मुँह बन्द कर दिया है । स्वामी के इस अमोघ बाण के आघात से कुत्ते की बोलती बन्द हो गई है ।
- रमेश दीक्षित टिमरनी

शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

हिन्दी साहित्य की व्यंग्य परम्परा का एक देदीप्यमान नक्षत्र आज अस्त हो गया । अप्रतिम व्यंग्यकार श्रीलाल शुक्ल अब हमारे बीच नहीँ रहे । अपने कालजयी उपन्यास ' राग दरबारी ' के लिए हिन्दी जगत सदैव उनका ऋणी रहेगा । अपने यशस्वी जीवन मेँ 86 वसन्त देख चुके श्रीलाल शुक्ल उत्तर प्रदेश की उच्च प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे । विभिन्न पदोँ पर रहते हुए उन्होँने शासन की कार्यप्रणाली और आम आदमी की तकलीफोँ को नजदीक से अनुभव किया था । इसके सिवा कस्बाई राजनीति और समाज के हर परिवेश पर उनकी गहरी पकड़ थी । ' राग दरबारी ' का एक - एक पात्र आज फिर से आँखोँ के सामने विचरण करने लगा । कई बार पढ़ने के बाद भी यह उपन्यास बार - बार पढ़ने की इच्छा होती है । मैँने अपने अनगिनत मित्रोँ को भी यह पढ़वाया है और वे सभी श्रीलाल शुक्ल के मुरीद हो गए । साहित्य अकादमी , पद्म विभूषण और हाल ही मेँ भारतीय ज्ञानपीठ पुरुस्कार से सम्मानित श्रीलाल शुक्ल सभी हिन्दी प्रेमियोँ को बहुत याद आएँगे । उन्हेँ टिमरनी के सभी कलम जीवियोँ की ओर से मैँ श्रद्धा सुमन समर्पित करता हूँ । - रमेश दीक्षित , टिमरनी

बुधवार, 28 सितंबर 2011

शारदीय नवरात्र

आज से हमारे देश मेँ शक्ति और भक्ति का महान्‌ पर्व शारदीय नवरात्र आरंभ हो चुका है । इस पवित्र अवसर पर सभी देशवासियोँ , सुधी पाठकोँ , मित्रोँ , परिचितोँ , शुभ - चिन्तकोँ , परिजन और पुरजन को हार्दिक बधाई और अनेकानेक शुभ - कामनाएँ । यह पर्व आप सभी को सुख और आरोग्य प्रदान करे यही जगज्जननी माँ से विनम्र प्रार्थना है ।
हे माँ ! इस देश के तमाम दुष्ट भ्रष्टाचारियोँ और निर्लज्ज नेताओँ का संहार कर देशवासियोँ को उनसे निजात दिलाओ ।
शुभेच्छु
रमेश दीक्षित , टिमरनी

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

चीन के साम्राज्यवादी मंसूबोँ के बारे मेँ देश का बच्चा - बच्चा अच्छी तरह से वाकिफ़ है परन्तु यह आश्चर्य की बात है कि भारत सरकार कुंभकर्णी निद्रा मेँ सोई हुई है । उसे देश की सीमाओँ की हिफ़ाजत की रत्ती भर भी चिन्ता नहीँ है । उसे तो येन केन प्रकारेण अपनी सत्ता को बचाए रखने की ही फ़िक्र है । चीन पिछले कुछ वर्षोँ मेँ न केवल कई बार हमारी सीमाओँ का बेजा उल्लंघन कर चुका है अपितु उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए अरुणाचल प्रदेश तथा लद्दाख क्षेत्र पर अपने अधिकार का दावा भी करता है । सीमाओँ पर उसकी सैन्य गतिविधियाँ उसके कुटिल इरादोँ को ज़ाहिर कर रही हैँ । हमारी सीमाओँ की सुरक्षा का आलम ये है कि वहाँ होने वाली हरकतोँ की जानकारी हमारी सरकार को या तो विदेशी एजेंसियोँ के माध्यम से मिलती है या फिर महीनोँ बाद पता चलती है । हर बार हमारी सरकार का वही घिसा पिटा बयान सामने आ जाता है कि चीन की गतिविधियोँ पर हमारी नज़र है । ज्यादा से ज्यादा मिमियाती हुई भाषा मेँ एक तथाकथित विरोध पत्र भेजकर यह मान लिया जाता है कि इससे चीन का हृदय परिवर्तन हो जाएगा और वह अब कोई भी ग़लत हरक़त नहीँ करेगा । दर असल हमारी ये लुंजपुंज केन्द्र सरकार न तो चीन के कुत्सित इरादोँ को समझ पाई है और न ही इतिहास से वह कुछ सबक लेना चाहती है । स्मरण रहे कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार मेँ रक्षा मंत्री रहे देश भक्त जार्ज फर्नाण्डीज़ ने तब संसद मेँ यह कहा था कि हमारा सबसे बड़ा दुश्मन चीन है । वास्तव मेँ कितने दूरदर्शी हैँ जार्ज और कितनी मूर्ख है हमारी ये सरकार । इसे देश हितोँ की बलि चढ़ाने मेँ कोई लज्जा नहीँ आती । इतने बड़े और सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न देश की सरकार आखिर चीन से इतनी भयभीत क्योँ रहती है ? क्योँ नहीँ वह अन्तर्राष्ट्रीय मंचोँ से यह सिँह गर्जना करती कि चीन हमारी हजारोँ वर्ग मील भूमि हमेँ लौटाए जो उसने 1962 मेँ भारत पर हमला करके हड़प ली थी ? क्योँ नहीँ यह सरकार तिब्बत की आजादी का समर्थन करती जिस पर चीन ने जबरन कब्जा कर तिब्बतियोँ को गुलाम बनाकर रखा है ? क्योँ नहीँ चीन से अपना कैलाश मान सरोवर छीना जाता ? इस रीढ़विहीन , सज़दे मेँ झुकी हुई और डरपोँक सरकार से ये उम्मीद बेमानी ही है । अरे ! जिस सरकार आज़ादी के बाद न केवल अपनी जमीन खोई हो बल्कि तश्तरी मेँ रखकर भेँट कर दी हो वह सरकार देश के स्वाभिमान की भला क्या परवाह करेगी ? चीन ने हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर कैलाश मानसरोवर सहित हजारोँ वर्ग मील भूमि पर कब्जा कर लिया और हम आज तक हाथ पर हाथ धरे लाचार बैठे हैँ । उसने तिब्बत हथिया लिया फिर भी हम खामोश रहे । पाकिस्तान ने तीन चौथाई कश्मीर हमसे छीन लिया , हम कुछ नहीँ कर सके । 1965 के युद्ध मेँ जीती हुई जमीन हम टिफिन टेबल पर हार गए और शहीदोँ का बलिदान व्यर्थ चला गया । काँग्रेस सरकार ने कच्छ का रन पाकिस्तान को , कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को और तीन बीघा गलियारा बंगला देश को तश्तरी मेँ रखकर भेँट कर दिया । हाल ही मेँ बंगला देश को देश का एक और हिस्सा दान कर दिया गया । ये भ्रष्ट और देशद्रोही सरकार आखिर किस सीमा तक घुटने टेकेगी और कब तक देश हितोँ का बलिदान करेगी ? भगवान्‌ इनको सद्बुद्धि दे ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी ।

रविवार, 18 सितंबर 2011

कल शनिवार की शाम मेरे लिए तब यादगार बन गई जब देश के ख्यातिनाम कवि और साहित्यकार डॉ. हीरालाल बाछोतिया अकस्मात ही मेरे घर पधारे । मैँ आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता से भर गया । टिमरनी उनका गृहनगर है लेकिन अब उनका यहाँ आना बहुत कम हो पाता है । वे गोवा से दिल्ली लौटते हुए अपनोँ से मिलने और अपने बचपन की यादोँ को ताज़ा करने के लिए टिमरनी उतर पड़े थे । खूब चर्चाएँ हुईँ । एक लम्बे समय के बाद उनका टिमरनी आना हुआ था । चर्चा के दौरान उन्होँने बताया कि वे गोवा मेँ हिन्दी दिवस के कार्यक्रम मेँ मुख्य वक्ता के रूप मेँ आमंत्रित थे । पुरानी बातेँ निकलीँ तो फिर शायद ही कुछ छूटा हो । राधाबाई की नदी , राधास्वामी हाईस्कूल , प्राचार्य माथुर साहब , हिन्दी के तब के शिक्षक पी.एन. मिश्र , कवि नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी , केदार शुक्ल , मदनलाल अग्रवाल , डॉ. हनुमन्तराव मुजुमदार , किशोरीलाल वर्मा , गंग कवि , कन्हैयालाल गर्ग , गयाप्रसाद मास्टर , जगन्नाथ दीवानजी और पन्नालाल उस्ताद वगैरह सभी की बातेँ यादोँ की बारात बनकर निकलती रहीँ । संयोग से कल रात ही स्थानीय बैँक ऑफ महाराष्ट्र के शाखा प्रबंधक श्री गोविन्द शर्मा के निवास पर कविवर प्रयास जोशी के काव्य संग्रह " रंगोँ के आसपास " पर चर्चा का एक कार्यक्रम भी था । बाछोतिया जी को मैँने इस कार्यक्रम मेँ चलने का आग्रह किया और वे सहज ही तैयार हो गए । इस आयोजन मेँ उनके आग्रह पर मैँने प्रयास जोशी के इस काव्य संग्रह मेँ से कुछ चुनिन्दा कविताओँ का वाचन भी किया । इस अवसर पर टिमरनी के वरिष्ठ कवि श्री हरगोविन्द शर्मा , श्री गोविन्द शर्मा , राजेन्द्र वाराह , मुकेश शाण्डिल्य ' चिराग ' और मैँने भी रचनाएँ सुनाईँ । और अन्त मेँ हम सबने जी भरकर बाछोतिया जी से उनकी कविताएँ सुनीँ । इस कार्यक्रम के सूत्रधार भाई मनीष सोनकिया ने यद्यपि अपनी रचनाएँ नहीँ सुनाईँ तथापि उनका योगदान सराहनीय था । हरदा मेँ भी कविवर माणिक वर्मा के निवास पर एक काव्य गोष्ठी कल ही रखी गई थी जिसमेँ टिमरनी के कुछ कवि मित्र भी गए थे जिससे वे लोग यहाँ के आनन्द से वंचित रह गए । कुल मिलाकर कल का दिन अविस्मरणीय आनन्द से ओतप्रोत रहा ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी