सोमवार, 11 जनवरी 2010

महँगाई मार गई

वो जमाना लद गया जब महँगाई अर्थशास्त्र के माँग और पूर्ति के नियम के अनुसार बढ़ती या घटती थी । अब तो महँगाई मंत्रियोँ के बयानोँ से बढ़ती है । केन्द्र सरकार के एक मंत्री का काम केवल बयान देकर महँगाई को बढ़ाना है । होना तो यह था कि ऐसे गैरजिम्मेदाराना बयान देने वाले मंत्री को लात मारकर बाहर निकाल देना था । पर जिन्हेँ गरीब जनता की चिन्ता के बजाय अपनी और अपनी सरकार की चिन्ता अधिक हो उनसे आप ऐसे नैतिक साहस की अपेक्षा भला कैसे कर सकते हैँ ? कोई बात नहीँ लेकिन याद रहे गरीबोँ की आह मेँ लोहे को भी भस्म करने की ताकत होती है । ये मंत्री ऐसी मौत मरेँगे जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीँ की होगी । उसके पूरे खानदान मेँ कोई दिया बाती लगाने वाला भी नहीँ बचेगा । ये हरामजादे जनता के खून पसीने की कमाई पर ऐश कर रहे हैँ । उन्हेँ भला गरीबोँ की क्या चिन्ता ? मिल मालिकोँ और उद्योगपतियोँ से अरबोँ रुपये चुनावी चन्दा लेकर अनैतिक तरीके से चुनाव जीतकर ये जनता के मालिक बन बैठे हैँ । और अब जनता को अंधाधुंध महँगाई की चक्की मेँ पीस -पीस कर मार रहे हैँ । मैँ और मेरे जैसे असंख्य गरीब लोग भगवान से दिन रात यही प्रार्थना कर रहे हैँ कि बयान दे दे कर महँगाई को बढ़वाने वाले मंत्री का काला मुँह हो जाए और उसको घोर कुम्भीपाक तथा रौरव नर्क की यातनाएँ झेलना पड़े । ऐसी नालायक और दुष्ट सरकार का महा सत्यानाश हो । जय जनता - जय जनार्दन ।

कोई टिप्पणी नहीं: