रविवार, 8 अगस्त 2010

संघ का कार्य व्यक्ति निर्माण

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले पिछले दिनोँ अपने दो दिवसीय प्रवास पर टिमरनी पधारे थे । श्री भाऊ साहब भुस्कुटे का गाँव होने के कारण देश भर के संघ कार्यकर्ताओँ के मन मेँ टिमरनी के लिए एक तीर्थ की तरह श्रद्धा का भाव रहता है और वे यहाँ आने का कोई भी अवसर गँवाना नहीँ चाहते । श्री होसबले की उपस्थिति का लाभ लेने के लिए यहाँ के सरस्वती शिशु मन्दिर के सभागार मेँ एक बौद्धिक वर्ग का आयोजन किया गया था जिसमेँ टिमरनी और आसपास के संघ स्वयंसेवकोँ के साथ ही बड़ी संख्या मेँ आम जन भी उपस्थित थे । समूचा सभागार जिज्ञासु श्रोताओँ से खचाखच भरा हुआ था । श्री होसबले ने अपने उद्‌बोधन मेँ कहा कि आज देश मेँ ही नहीँ अपितु विश्व भर मेँ संघ का कार्य कोई अपरिचित कार्य नहीँ है । दुनिया भर के लोगोँ के मन मेँ इस के लिए कौतूहल है । विभिन्न देशोँ मेँ गए संघ के स्वयंसेवक वहाँ रह रहे हिन्दुओँ तथा अपनी मातृभूमि के लिए कार्य करते हैँ । जहाँ तक समाज का विस्तार है वहाँ तक संघ कार्य का भी विस्तार है । उन्होँने कहा कि सेकुलरिज़्म का विचार भारत की स्वाभाविक प्रवृत्ति के अनुकूल नहीँ है । हिन्दुत्व का विचार इससे भी श्रेष्ठ विचार है । उन्होँने कहा कि टाइम्स ऑफ इण्डिया के सम्पादक स्वर्गीय गिरिलाल जैन के लेखोँ मेँ हमेशा संघ के प्रति असहमति का भाव दिखाई देता था लेकिन जब उन्होँने संघ को निकट से समझा तो संघ के प्रति उनकी धारणा मेँ आमूलचूल परिवर्तन आ गया । इसी तरह लोकनायक जयप्रकाश नारायण पहले मार्क्सवादी थे फिर गाँधी विचार से प्रभावित होकर समाजवाद की ओर झुके तथा बाद मेँ सर्वोदय का काम किया । संघ के विचारोँ से उनकी भी असहमति रहती थी लेकिन जब उन्होँने संघ कार्य को नज़दीक से देखा समझा तो कहा कि संघ एक क्रान्तिकारी संगठन है । उन्होँने तो यहाँ तक कहा कि यदि संघ फासिस्ट है तो मैँ भी फासिस्ट हूँ । आज संघ के स्वयंसेवक समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रोँ मेँ कार्य कर रहे हैँ । आज सर्वत्र संघ कार्योँ की चर्चा होती है और आलोचना भी होती है जिसका अर्थ यही है कि इसका प्रभाव बढ़ रहा है । श्री होसबले ने आगे कहा कि संघ की आज तक की सफलता के चार प्रमुख कारण हैँ । पहला कारण है हिन्दुत्व का विचार जो कि भारत की मिट्टी का विचार है , यहाँ की संस्कृति और परम्परा का विचार है । दूसरा कारण है संघ का सभी स्तरोँ पर कुशल नेतृत्व । तीसरा कारण है संघ की कार्य पद्धति । नित्य शाखा के माध्यम से अधिक से अधिक लोगोँ को जोड़कर व्यक्ति निर्माण का कार्य करना क्योँकि व्यक्ति निर्माण से ही समाज और राष्ट्र मेँ परिवर्तन आएगा । संघ की सफलता का चौथा कारण है उपरोक्त तीनोँ कारणोँ के कारण निकले संघ के समर्पित कार्यकर्ता जो यह मानते हैँ कि संघ मेरा है और मैँ संघ का हूँ । इन्हीँ चारोँ कारणोँ से आज समाज मेँ संघ प्रभावी है । संघ ने हिन्दुत्व का विचार किसी वाद के रूप मेँ समाज के सामने नहीँ रखा है । हिन्दुत्व का विचार इस देश मेँ कोई नया विचार नहीँ है अपितु यह तो अनादिकाल से इस देश का विचार रहा है । हमारे ऋषियोँ , मुनियोँ , संतोँ , मनीषियोँ और पूर्वजोँ ने जो जीवन पद्धति विकसित की है वह सनातन परम्परा ही संघ का विचार है । संघ ने युगानुकूल सन्दर्भ मेँ इस विचार को समाज के सामने रखा है । यह नित्य नूतन और चिर पुरातन अर्थात सनातन विचार है । उन्होँने कहा कि संघ कोई हिन्दू राष्ट्र का निर्माण नहीँ कर रहा है क्योँकि यह हिन्दू राष्ट्र तो है ही और जो पहले से है उसका निर्माण भला कैसे किया जा सकता है ? लोग हिन्दुत्व के विचारोँ का देश मेँ पालन करते ही हैँ । उन्होँने कहा कि भारत सरकार ने जिस ' सत्य मेव जयते ' को अपने ध्येय वाक्य के रूप मेँ स्वीकार किया है वह हमारे ऋग्वेद से लिया गया है । भारतीय संसद और उच्चतम न्यायालय की दीवारोँ पर जो सूत्र लिखे गए हैँ वे सभी हमारे वेदोँ और उपनिषदोँ से ही लिए गए हैँ । भारतीय जीवन बीमा निगम , दूरदर्शन , एन.सी.ई.आर.टी. तथा देश के लगभग सभी विश्वविद्यालयोँ और शिक्षा संस्थाओँ के ध्येय वाक्य भी हमारे विभिन्न हिन्दू ग्रंथोँ से ही लिए गए हैँ । यह हमारे देश की परम्पराओँ और मुख्य धारा से जुड़ाव के कारण ही है । हिन्दू जीवन पद्धति की स्वाभाविक हमारे जीवन मेँ व्याप्त हैँ । सारांश यह है कि हम इस देश को हिन्दू राष्ट्र के रूप मेँ ही स्वीकार करते हैँ । इन्हीँ बुनियादी विचारोँ पर संघ का कार्य चलता है । इन विचारोँ को व्यवहार मेँ लाने का कार्य संघ करता है । विचार पुरातन है और पद्धति नूतन है । श्री होसबले ने आगे कहा कि विभिन्न आधारोँ पर भेद करने की आदत हमारे हिन्दू समाज की सबसे बड़ी कमजोरी है । हमारी इस आदत को अँग्रेजोँ ने खूब बढ़ावा दिया । उन्होँने कहा कि हमारे शाखा तंत्र सबको जोड़ने का कार्य करता है । एकात्मता हमारे लिए केवल बौद्धिक कसरत नहीँ है अपितु संघ की शाखाओँ मेँ यह प्रत्यक्ष दिखाई देता है । समय की कसौटी पर संघ की कार्य पद्धति खरी सिद्ध हुई है । समरसता और एकता का भाव जगाने का कार्य संघ की शाखाओँ मेँ होता है । व्यक्ति निर्माण का संघ का विचार भी भारतीय परम्परा का ही अंग है , केवल तंत्र नया है । कैसे रहना , सबके साथ कैसा व्यवहार करना , ये सब नर को नारायण बनाने के ही उपाय हैँ । मनुष्य को परिपूर्ण बनाना ही हमारा कार्य है क्योँकि इसके बिना हमारा समाज ऊपर नहीँ उठ सकता । उन्होँने कहा कि कानून से मनुष्य मेँ परिवर्तन नहीँ हो सकता । कानून से मनुष्य डरता है और फिर उससे बचने के उपाय सोचता है । आज जब इंसान भगवान तक को धोखा देने से बाज नहीँ आता तब कानून से बचना उसके लिए कौन सा मुश्किल काम है ? इस बारे मेँ ...शेष अगली बार

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