रविवार, 15 अगस्त 2010

प्रसंगवश : राष्ट्रीय ध्वज

तिरंगा हमारा राष्ट्रीय ध्वज है । यह हमारे राष्ट्र का गौरवशाली प्रतीक है । हमारे जीवन मेँ राष्ट्र का सर्वोच्च स्थान है या होना चाहिए । कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितना भी बड़ा या महान क्योँ न हो राष्ट्र से बड़ा या राष्ट्र से ऊपर नहीँ हो सकता और इसीलिए वह राष्ट्र ध्वज से भी बड़ा या उससे ऊपर नहीँ हो सकता । प्रत्येक देशभक्त भारतीय को तिरंगे का सम्मान श्रद्धापूर्वक और भक्तिभाव से करना ही चाहिए । इसका अनादर या अपमान करने वाले को देशद्रोही मानना चाहिए और देशद्रोह की सजा सिर्फ़ और सिर्फ़ मौत होनी चाहिए ।
अब थोड़ी चर्चा इसके कभी कभार होने वाले बेजा इस्तेमाल की भी कर लेना आज समीचीन होगा । गुलामी की तुच्छ और हेय मानसिकता के चलते हमारे तत्कालीन रीढ़विहीन नेतृत्व ने राष्ट्रीय ध्वज के लिए विदेशी नियम स्वीकार किए हैँ जो किसी भी स्वाभिमानी देश मेँ उचित नहीँ माने जा सकते । लेकिन हमारे देश मेँ कुछ लोगोँ को राष्ट्र से भी ऊपर मानने की प्रवृत्ति है । इसी कुत्सित और राष्ट्र के लिए अपमानजनक एवं लज्जाजनक प्रवृत्ति के चलते नेताओँ की मृत्यु होने पर राष्ट्रीय ध्वज को झुका दिया जाता है । इतना ही नहीँ तो राष्ट्र ध्वज को उनके शव पर कफ़न की तरह लपेटा जाता है । जैसा कि मैँ पहले कह चुका हूँ कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितना ही बड़ा या महान क्योँ न हो राष्ट्र या राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर नहीँ हो सकता । तब लाख टके का सवाल यह उठता है कि राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान मेँ व्यक्ति झुके या फिर व्यक्ति के सम्मान मेँ राष्ट्रीय ध्वज झुके ? और फिर राष्ट्रीय ध्वज को किसी के शव पर कफ़न की तरह लपेटना किसी स्वाभिमानी राष्ट्र मेँ कैसे स्वीकार्य हो सकता है । परन्तु लगता है हमारे देश मेँ राष्ट्र का स्थान सबसे ऊपर नहीँ है । चाटुकारिता के कारण व्यक्ति राष्ट्र से भी ऊपर माना जाने लगा है । राष्ट्रीय भावनाएँ साल मेँ केवल दो ही दिन जोर मारती हैँ एक 15 अगस्त को और दूसरे 26 जनवरी को । इन दो अवसरोँ पर कुछ देशभक्तिपूर्ण गीत बजाकर हम अपनी राष्ट्रभक्ति का इज़हार कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैँ । हमारे राष्ट्र जीवन मेँ इस स्थिति मेँ परिवर्तन आना ही चाहिए । हमारे सर्वोच्च न्यायालय मेँ राष्ट्र ध्वज के इस प्रकार गलत इस्तेमाल पर विचार कर नियमोँ मेँ कुछ जरूरी परिवर्तन करना चाहिए । या फिर इस अत्यंत संवेदनशील मामले पर सर्वोच्च न्यायालय मेँ याचिका दायर की जानी चाहिए ताकि राष्ट्र के आत्मसम्मान की रक्षा हो सके ।
- रमेश दीक्षत , टिमरनी

3 टिप्‍पणियां:

sanu shukla ने कहा…

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!!


http://iisanuii.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html

sanu shukla ने कहा…

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!!


http://iisanuii.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html

रमेश दीक्षित , टिमरनी ने कहा…

श्री सानू शुक्ला जी ! शुभ - कामनाओँ के लिए हार्दिक धन्यवाद ।