मंगलवार, 18 अगस्त 2009

राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि

धन्य है भारत का मीडिया जो लोगोँ की समस्याओँ को मुखरता से उठाने की बजाए इन दिनोँ शाहरुख खान के कथित अपमान को लेकर हायतौबा मचा रहा है । अमेरिका द्वारा अपने राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति बरती जा रही सावधानियोँ से सबक लेने के बजाए एक अनावश्यक मामले को उछाला जा रहा है । राष्ट्र की सुरक्षा से ऊपर कोई नहीँ हो सकता भले ही वो कोई भी हो कितना भी बड़ा हो । इसी नीति को कठोरता से लागू करने का परिणाम है कि 9/11 के बाद अमेरिका मेँ आतंकवाद की एक भी घटना नहीँ । इसके विपरीत भारत मेँ राष्ट्र की और जनता की सुरक्षा के प्रति घोर और अक्षम्य आपराधिक लापरवाही बरती जा रही है । यहाँ आतंकवादी घटना के बाद रेड अलर्ट घोषित किया जाता है । यह रेड अलर्ट कब ग्रीन हो जाता है इसका पता ही नहीँ चलता । यह कहा जा रहा है कि शाहरुख खान से इसलिए पूछताछ की गई क्योँकि वह मुसलमान है । वास्तव मेँ तो भारतीय मीडिया ऐसा कहकर अमेरिका की सुरक्षा एजेँसियोँ की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर रहा है । शाहरुख खान की चाटुकारिता करने वाला मीडिया उसे किँग खान और बादशाह खान तक कहता है । अब आप ही सोचिए कि मीडिया मेँ यह कौन सी प्रवृत्ति विकसित होती जा रही है । लेकिन भारतीय मीडिया के लिए यह कोई नई बात नहीँ है । इसके पहले वह राहुल गाँधी को काँग्रेस का युवराज कहकर महिमामण्डित करती रही है । मीडिया का यह कहना कि मुसलमान होने के कारण शाहरुख खान को यह ज़लालत झेलनी पड़ी तो यह मुसलमानोँ के लिए चिन्ता का विषय होना चाहिए कि तमाम दुनिया मेँ उन्हेँ क्योँ सन्देह की नज़रोँ से देखा जाता है ? कुछ मुट्ठी भर लोगोँ की करतूतोँ के कारण समूची मुसलमान कौम इसलिए बदनाम हो रही है क्योँकि उनकी इन करतूतोँ के ख़िलाफ मुसलमान प्राय: खुलकर अपना विरोध व्यक्त नहीँ करते । शादी, तलाक़ और वन्दे मातरम जैसे मामलोँ मेँ फ़तवा जारी करने वाले मुल्ला , मौलवी और इस्लाम की दीनी संस्थाएँ आतंकवादियोँ के ख़िलाफ फ़तवा जारी कर उन्हेँ और उनकी करतूतोँ को ग़ैर इस्लामी घोषित क्योँ नहीँ करते ? राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति सजग अमेरिका की प्रशंसा करने के स्थान पर पूछताछ की सामान्य प्रक्रिया को नमक मिर्च लगाकर शाहरुख खान के अपमान के रूप मेँ इस तरह परोसा जा रहा है मानो यह इस देश का अपमान हो । होना तो यह चाहिए कि अमेरिका से सबक लेकर हमेँ भी अपने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ऐसे ही उपाय अपनाएँ । मगर भारत के मीडिया के लिए इससे बड़ी ख़बर शायद कोई थी ही नहीँ । उसके लिए महँगाई ,भ्रष्टाचार और स्वाइन फ़्लू से मरती जनता की बढ़ती मुसीबतेँ जैसे कुछ भी नहीँ । धिक्कार है ऐसे बिके हुए , स्वाभिमानशून्य और चाटुकार मीडिया को ।

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