पिछले कुछ दिनोँ से पीलिया रोग से पीड़ित हूँ । न जाने मैँने ऐसा क्या पी लिया था । ख़ैर... आज शरद पूर्णिमा है , लिहाज़ा कुछ तो कहना ही पड़ेगा ।
' चाँदनी '
है अँधेरोँ से बँधी तक़दीर जिनकी ।
चाँदनी उनके लिए
है चार दिन की ।
आज सिर्फ़ ग़ज़ल का मतला ही प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
इस मतले के रदीफ़ और क़ाफ़िए पर यदि आपका मन मचले तो आप भी ग़िरह लगाकर कुछ शेर अवश्य कहियेगा । सचमुच मुझे बहुत खुशी होगी आपके शेर पढ़कर । इरशाद ...
शनिवार, 3 अक्तूबर 2009
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