शुक्रवार, 14 अगस्त 2009
अधूरी आज़ादी
हम आज अधूरी आज़ादी की वर्षगाँठ मना रहे हैँ । लाहौर मेँ रावी के तट पर लिए गए संकल्प को तत्कालीन सत्तालोलुप नेतृत्व ने भुला दिया । अफ़सोस तो इस बात का है कि हमारा ढुलमुल,कमजोर,रीढ़विहीन और आत्मविस्मृत नेतृत्व इस अधूरी आज़ादी को भी सँभालकर नहीँ रख सका । कश्मीर का एक बड़ा भाग पाकिस्तान ने तुरन्त ही हमसे हड़प लिया । नेहरू ने कश्मीर मसले को यू एन ओ मेँ ले जाकर इसे आने वाली पीढ़ी के लिए अन्तहीन सिरदर्द बना डाला । हम खामोश रहे । चीन ने बलपूर्वक हजारोँ वर्गमील भूमि पर कब्जा कर लिया । हम चुप रहे । कच्छ का रन पाकिस्तान को , कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को और तीन बीघा गलियारा बँगला देश को तश्तरी मेँ रखकर भेँट कर दिया । हम देखते रहे । अभी क्या है ! पूर्वोत्तर संकट मेँ है । सीमाएँ असुरक्षित हैँ । घुसपैठ जारी है । आस्तीन के साँप सक्रिय हैँ । हम कुंभकर्णी नीँद मेँ हैँ । आतंकी निर्भीक घूम रहे हैँ । आम जनता मँहगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त है । धन्य है इस देश की जनता जो फिर भी सुनहरे भविष्य के प्रति आशान्वित है । लेकिन क्या निराश हुआ जाए ? नहीँ ! निराश होने की जरूरत नहीँ है । बस INDIA को भारत बनाने का प्रयास करेँ । जिस दिन हम भारत बना लेँगे सारी समस्याएँ अपने आप हल हो जाएँगी । भारतमाता की जय ।
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4 टिप्पणियां:
जब लाहौर ही नहीं रहा तो संकल्प कहाँ का
बस INDIA को भारत बनाने का प्रयास करेँ । जिस दिन हम भारत बना लेँगे सारी समस्याएँ अपने आप हल हो जाएँगी ।
अच्छा जादू है....
अभी भी हम पूरी तरह आजाद नहीं हुये है......
चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
कृप्या ये word verification हटा दें...टिप्प्णी करने में आसानी होती है
गुलमोहर का फूल
आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
लिखते रहिये
चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
गार्गी
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